घूर्णन गति के प्रकार | Ghurnan Gati kitne prakar ki hoti hai

Ghurnan Gati kitne prakar ki hoti hai

आज के इस आर्टिकल में मै आपको ” घूर्णन गति के प्रकार | Ghurnan Gati kitne prakar ki hoti hai ” की जानकारी उपलब्ध कराने जा रहा हूँ, जिन्हे आप अध्ययन कर अपने प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के उपयोग में ला करेंगे, आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा। तो चलिए जानते हैं –

Question – घूर्णन गति के प्रकार

Answer – घूर्णन गति तीन प्रकार की होती है – 

  • स्थिर अक्ष के परित घूर्णन
  • स्थानांतरीय अक्ष के परित घूर्णन
  • घुर्णिय अक्ष के परित घूर्णन

(1) स्थिर अक्ष के परित घूर्णन :-

छत के पंखे का घूर्णन, कुम्हार के पहिए का घूमना, दरवाजों का खुलना व बन्द होना, दीवार की घड़ी की सुइयों का घूमना इत्यादि इस वर्ग में आते है।

जब छत का पंखा घूमता है, वह उधर्वाधर छड़ जिससे यह लटकाया जाता है। स्थिर अवस्था में रहता है तथा पंखों के सभी कण वृतीय पथ में घूमते है।

सभी कणों द्वारा अनुसरित वृतीय पथों के केंद्र छड़ की केंद्रीय रेखा पर होते है। यह केन्द्रीय रेखा घूर्णन अक्ष कहलाती है तथा इसे बिंदूकृत रेखा द्वारा दर्शाया जाता है। सभी कण जो इस घूर्णन के अक्ष पर है वे विरामावस्था में है इसलिए अक्ष विरामावस्था में है और पंखा स्थिर अक्ष के परित घूर्णन में है।

(2) स्थानांतरीय अक्ष के परित घूर्णन

स्थानांतरीय अक्ष के परित घूर्णन गति के एक वृहत वर्ग को समाहित करता है। लौटनी गति इस प्रकार की गति का एक उदाहरण है।

किसी वाहन के पहिए की लोटनी गति के बारे में सोचे जो कि एक सीधे समतल सड़क पर गति कर रही हो एक ऐसे निर्देश तंत्र के सापेक्ष की जो कि वाहन के साथ गति कर रहा हो।

पहिया स्थिर धुरी के परित घूर्णन करता प्रतीत होता होगा। इस निर्देश तंत्र के सापेक्ष पहिए का घूर्णन स्थिर अक्ष के परित घूर्णन है। धरातल से जुड़े हुवे निर्देश तंत्र के सापेक्ष पहिया गतिशील धुरी के परित घूर्णन करता हुआ प्रतीत होगा।

इसलिए पहिए की लौटनी गति एक साथ होने वाली दो पृथक गतीयो का अध्यारोपण है। स्थिर धुरी के परित घूर्णन जो वाहन के साथ जुड़ी हुई है तथा धुरी वाहन के साथ स्थानांतरण।

(3) घूर्णीय अक्ष के परित घूर्णन :-

इस प्रकार की गति में वस्तु एक अक्ष के परित घूमती है जो स्वयं किसी दूसरे अक्ष के परित घूमती है। घूर्णीय अक्ष के परित घूर्णन गति हमारे कार्य क्षेत्र के बाहर है। इसलिए इसकी चर्चा हम प्राथमिक स्तर तक ही करेंगे।

एक घूमते हुए लट्टू का उदाहरण ले। लट्टू सममिती की केन्द्रीय अक्ष के परित घूमता है तथा यह अक्ष उध्वाधर अक्ष के परित एक शंकु कि आकृति बनाता है।

केंद्रीय अक्ष निरंतर अपना विन्यास बदलती है। इसलिए घुर्णीय गति में है। इस प्रकार का घूर्णन जहां अक्ष स्वयं घुर्णीय गति में हो तथा एक शंकु की आकृति में घूमे अग्रगमन कहलाता है।


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